हिंदू धर्म में ज्योतिष (Astrology) का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसे "वैदिक ज्योतिष" भी कहा जाता है, क्योंकि इसका मूल वेदों और वेदांगों में है। यह ज्ञान समय और ग्रहों की चाल को समझने और उनके प्रभाव को जानने का विज्ञान है।
ज्योतिष के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के जीवन पर ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव को समझना और समस्याओं का समाधान ढूंढना है। इसे जीवन का मार्गदर्शन देने वाला शास्त्र माना जाता है।
ज्योतिष के प्रकार
वैदिक ज्योतिष को मुख्य रूप से निम्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:1. सिद्धांत ज्योतिष
- इसे "गणित ज्योतिष" भी कहा जाता है।
- इसमें खगोल विज्ञान (Astronomy) और गणना की विधियों का अध्ययन किया जाता है।
- यह सूर्य, चंद्रमा, ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति और उनकी चाल का निर्धारण करता है।
- पंचांग (हिंदू कैलेंडर) इसी के आधार पर बनाया जाता है।
2. होरा ज्योतिष
- इसे "व्यक्तिगत ज्योतिष" कहा जाता है।
- इसमें व्यक्ति की कुंडली (जन्म पत्रिका) के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है।
- यह सबसे प्रचलित प्रकार है और इसमें ग्रहों के प्रभाव का अध्ययन करके स्वास्थ्य, शिक्षा, विवाह, करियर आदि का विश्लेषण किया जाता है।
- होरा ज्योतिष के उप-भाग:
- जातक ज्योतिष: व्यक्तिगत कुंडली का अध्ययन।
- प्रश्न ज्योतिष: किसी विशेष प्रश्न के उत्तर के लिए ग्रहों की स्थिति का अध्ययन।
- मुहूर्त ज्योतिष: शुभ समय का निर्धारण।
- वार्ता ज्योतिष: विशेष घटनाओं के समय का अनुमान।
3. संहिता ज्योतिष
इसमें सामूहिक रूप से समाज, देश, प्राकृतिक आपदाओं, मौसम और आर्थिक स्थिति पर ग्रहों के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। उदाहरण: भूकंप, बारिश, फसल, युद्ध, और महामारी जैसी घटनाओं की भविष्यवाणी।ज्योतिष के कुछ प्रमुख सिद्धांत
नवग्रह (ग्रहों का अध्ययन)
सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु को नवग्रह कहा जाता है। इन ग्रहों की स्थिति व्यक्ति की कुंडली और जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है।बारह राशियाँ (Zodiac Signs)
मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन।नक्षत्र (27 तारामंडल)
चंद्रमा के परिभ्रमण पथ को 27 नक्षत्रों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक नक्षत्र का अपना प्रभाव और गुण होता है।दशा और गोचर (Periods and Transits)
ग्रहों की दशा (विभिन्न समयों में उनका प्रभाव) और गोचर (ग्रहों की चाल और उसका प्रभाव)।वैदिक ज्योतिष के आधार पर समाधान
- यज्ञ और पूजा: ग्रहों की शांति के लिए।
- रत्न (Gems): ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए।
- दान (Donation): नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए।
- मंत्र: ग्रहों को शांत करने के लिए।
- रुद्राक्ष और यंत्र: ऊर्जा संतुलन के लिए।