केतु देव को हिंदू ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वे नवग्रहों में से एक हैं और राहु के साथ मिलकर छाया ग्रहों के रूप में जाने जाते हैं। केतु का प्रतीकात्मक रूप से सिरविहीन धड़ के रूप में चित्रण किया जाता है, जो रहस्यमय शक्तियों, आध्यात्मिकता, और ज्ञान का प्रतीक है। केतु को "छाया ग्रह" कहा जाता है क्योंकि उनका अस्तित्व भौतिक रूप में नहीं बल्कि छाया के रूप में है। ज्योतिष शास्त्र में, केतु को संसार से वैराग्य, मोक्ष, और अंतर्ज्ञान का कारक माना जाता है।
केतु देव का महत्व
आध्यात्मिकता और मोक्ष: केतु को मोक्ष और आत्म-ज्ञान का कारक माना जाता है। उनकी कृपा से व्यक्ति को संसार के मोह से मुक्त होने और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
रहस्य और गूढ़ विज्ञान: केतु को गूढ़ विज्ञान, तंत्र-मंत्र, और रहस्यवादी ज्ञान का प्रतिनिधि माना जाता है। वे व्यक्ति को अज्ञात क्षेत्रों में खोज करने और गहरे ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा देते हैं।
वैराग्य और तपस्या: केतु का प्रभाव व्यक्ति में वैराग्य, तपस्या, और त्याग की भावना को प्रबल करता है। वे सांसारिक इच्छाओं और भौतिक सुखों से दूरी बनाने का संकेत देते हैं।
अनपेक्षित परिणाम और घटनाएँ: ज्योतिष में, केतु को अनपेक्षित घटनाओं और परिणामों का कारक माना जाता है। उनके प्रभाव से जीवन में अचानक परिवर्तन या अप्रत्याशित घटनाएँ हो सकती हैं।
केतु देव की पूजा विधि
पूजा का समय: केतु देव की पूजा मंगलवार और शनिवार के दिन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। केतु की शांति के लिए विशेष पूजन और उपाय करने का भी महत्व है।
पूजा सामग्री: केतु देव की पूजा में नीले और काले फूल, गुड़, काला तिल, नीला वस्त्र, और धूप-दीप का उपयोग किया जाता है।
मंत्र जाप: "ॐ केतवे नमः" मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप 108 बार करने से केतु देव की कृपा प्राप्त होती है और उनके अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।
ध्यान और प्रार्थना: केतु देव का ध्यान करके उनसे आध्यात्मिक ज्ञान, वैराग्य, और मानसिक शांति के लिए प्रार्थना करें। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को आंतरिक शांति और आत्म-साक्षात्कार प्राप्त होता है।
अन्य उपाय: केतु के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए हवन, तिल का दान, और गऊदान (गाय का दान) करना भी लाभकारी माना जाता है।
केतु देव की आराधना के लाभ
आध्यात्मिक उन्नति: केतु देव की पूजा से व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति होती है।
वैराग्य और आत्म-नियंत्रण: केतु की कृपा से व्यक्ति को भौतिक सुखों से मुक्ति और आत्म-नियंत्रण की शक्ति मिलती है।
रहस्यमय ज्ञान और गूढ़ विज्ञान में रुचि: केतु की आराधना से व्यक्ति में गूढ़ विज्ञान और रहस्यमय ज्ञान की ओर आकर्षण बढ़ता है।
अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना करने की क्षमता: केतु देव की कृपा से व्यक्ति में अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना करने और उनसे उबरने की शक्ति बढ़ती है।
केतु देव की पूजा और आराधना से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति, ज्ञान, और वैराग्य की प्राप्ति होती है, जो जीवन में संतुलन और समृद्धि लाती है।