दुनिया बनाने वाले
वाह रे तेरी माया
पार कोई ना पाया
तेरा पार कोई न पाया।
कोयल को काहै तूने,
काला बनाया।
बगुले को उजले,
रंग में रंगाया।
काहे किया रे
रत्नाकर को खारा।
कोई न समझे यह,
खेल तुम्हारा।
क्या क्या बताएं कैसी,
लीला तू करता आया।
तेरा पार कोई न पाया।
दुनिया बनाने वाले
वाह रे तेरी माया
पार कोई ना पाया
तेरा पार कोई न पाया।
काबुल देश में मेवे उपजाए।
खट्टे करिर तूने,
बृज में उगाए।
ब्राह्मण को तूने
बनाया भिकारी
अनपढ़ को दुनिया की
दौलत दी सारी।
उल्टे को सीधा और,
सीधे को उल्टा बनाया
तेरा पार न कोई पाया
दुनिया बनाने वाले
वाह रे तेरी माया
पार कोई ना पाया
तेरा पार कोई न पाया।
सोने को तूने
इतना सुंदर बनाया
जिसने भी देखा उसका
मन ललचाया
काहे ना इसमे
सुगंध थोड़ी डाली
बदले मे हिरण के
नाभी मे डाली
हर्ष तुम्हारी महिमा
कोई भी जान ना पाया
तेरा पार न कोई पाया
दुनिया बनाने वाले
वाह रे तेरी माया
पार कोई ना पाया
तेरा पार कोई न पाया।