01 Dec 2025 आध्यात्मिक मार्गदर्शन विश्वसनीय जानकारी

अगजाननं पद्मार्कं - अर्थ, महत्व और लाभ

icchapurti-mantra
“अगजाननं पद्मार्कं” भगवान गणेश की स्तुति का एक अत्यंत पवित्र श्लोक है, जो प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारंभ में उच्चारित किया जाता है। यह श्लोक सभी विघ्नों को दूर कर कार्य में सफलता प्रदान करता है।

श्लोक

अगजाननं पद्मार्कं गजाननं अहिशेषम्। एकदन्तं महाकायं तम् नमामि गुणेश्वरम्॥

अर्थ (Meaning)

“अगजा” का अर्थ है पार्वती देवी (जो हिमालय की पुत्री हैं)। “पद्मार्कं” का अर्थ है – जो सूर्य के समान तेजस्वी हैं। इस श्लोक का अर्थ है — “मैं उस भगवान गणेश को नमन करता हूँ, जो पार्वती देवी के पुत्र हैं, जिनका मुख हाथी के समान है, जिनका शरीर विशाल है और जो सभी गुणों के स्वामी हैं।”

श्लोक का महत्व

  • यह श्लोक हर शुभ कार्य, पूजा, यज्ञ या आरंभ से पहले बोला जाता है।
  • यह स्मरण दिलाता है कि सफलता के लिए पहले विघ्नहर्ता गणेश का आशीर्वाद लेना आवश्यक है।
  • इसका उच्चारण मानसिक शांति, बुद्धि-वृद्धि और कार्य सिद्धि प्रदान करता है।

पाठ का लाभ

  1. गृह या व्यवसाय में आने वाले विघ्न दूर होते हैं।
  2. एकाग्रता और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  3. सभी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है क्योंकि गणेशजी प्रथम पूज्य हैं।

पाठ विधि

प्रतिदिन सुबह स्नान के पश्चात पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस श्लोक का 11 या 21 बार जाप करें। गणेश जी के समक्ष दीपक जलाकर “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का उच्चारण भी करें। “अगजाननं पद्मार्कं” श्लोक छोटा होते हुए भी अत्यंत प्रभावशाली है। यह हमें विनम्रता, श्रद्धा और सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीवन आरंभ करने की प्रेरणा देता है।

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।