गुरुदेव दया करके, मुझको अपना लो
मेरे दिल की नैया को, अपने दर पे लगा लो
गुरुदेव दया करके, मुझको अपना लो
मेरे दिल की नैया को, अपने दर पे लगा लो
गुरुदेव दया करके...
अज्ञान तिमिर का मैं, भोला भटकता हूँ
जीवन की कठिन राह में, गिरता और संभलता हूँ
जीवन की कठिन राह में, गिरता और संभलता हूँ
पापी हूँ मैं पापी, अपने ह्रदय में बसा लो
गुरुदेव दया करके, मुझको अपना लो
मेरे दिल की नैया को, अपने दर पे लगा लो
गुरुदेव दया करके...
भवसागर की ऊँची लहरें, हमको निगलती हैं
लाखों प्रयत्न कर लूँ, किस्मत भी छलती है
लाखों प्रयत्न कर लूँ, किस्मत भी छलती है
दुख के इस अंधेरे में, दीपक की लौ जला दो
गुरुदेव दया करके, मुझको अपना लो
मेरे दिल की नैया को, अपने दर पे लगा लो
गुरुदेव दया करके...
संसार की मोह माया, हमको सताती है
गुरु चरणों की शरण में, मेरी सुधि आती है
गुरु चरणों की शरण में, मेरी सुधि ती है
अपने अमृत वचनों से, मुझको शीतल बना लो
गुरुदेव दया करके, मुझको अपना लो
मेरे दिल की नैया को, अपने दर पे लगा लो
गुरुदेव दया करके...
“गुरुदेव दया करके” एक भावपूर्ण भजन है जो आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति भक्तों के प्रेम और श्रद्धा को व्यक्त करता है। यह भजन अक्सर गुरु पूर्णिमा जैसे अवसरों पर गाया जाता है।