माँ बगलामुखी देवी को दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है। वे शक्ति, विजय और शत्रुओं का नाश करने वाली देवी हैं। इनकी उपासना से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय, वाणी और वाद-विवाद में सफलता प्राप्त होती है। माँ बगलामुखी की कथा पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है और उनकी महिमा का उल्लेख अनेक पुराणों में किया गया है।
माँ बगलामुखी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सृष्टि में भारी उथल-पुथल हो गई। चारों ओर तूफान, आपदाएँ और विनाशकारी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो गईं। इससे समस्त देवता, ऋषि-मुनि और मानव अत्यंत भयभीत हो गए। पृथ्वी पर संतुलन बिगड़ने लगा और धर्म का ह्रास होने लगा। देवता सभी समाधान के लिए भगवान विष्णु के पास पहुँचे। भगवान विष्णु ने कहा, "इस समस्या का समाधान केवल आदिशक्ति माँ बगलामुखी ही कर सकती हैं। उनकी कृपा से सृष्टि में शांति और संतुलन बहाल होगा।" तब देवता माँ बगलामुखी की आराधना करने के लिए हरिद्रा सरोवर (पीली मिट्टी वाले जलाशय) में गए। वहाँ उन्होंने माँ बगलामुखी का आह्वान किया। उनकी भक्ति और तप से प्रसन्न होकर माँ बगलामुखी प्रकट हुईं। उनका रूप तेजस्वी और दिव्य था। माँ बगलामुखी ने अपने भक्तों को आश्वासन दिया और अपने दिव्य शक्ति से विनाशकारी तूफान को रोक दिया। उन्होंने सृष्टि को फिर से संतुलित कर दिया। साथ ही, माँ ने यह आशीर्वाद दिया कि जो भी उनकी सच्चे मन से उपासना करेगा, वह शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेगा और जीवन में शांति एवं सफलता प्राप्त करेगा।माँ बगलामुखी की उपासना का महत्व
शत्रुनाशक देवी
माँ बगलामुखी की आराधना शत्रुओं के प्रभाव को समाप्त करती है।वाणी और विजय
माँ की कृपा से वाणी में शक्ति प्राप्त होती है और वाद-विवाद में विजय मिलती है।संकटों से मुक्ति
कठिन परिस्थितियों में माँ की पूजा से संकटों का नाश होता है।धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति
माँ बगलामुखी की आराधना से आध्यात्मिक उन्नति और सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।माँ बगलामुखी की पूजा विधि
- पीले वस्त्र:पूजा करते समय पीले वस्त्र पहनें।
- पीले फूल: माँ बगलामुखी को पीले फूल चढ़ाएं।
- हल्दी और चंदन: माँ को हल्दी और चंदन अर्पित करें।
- मंत्र जाप:
"ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।"
मंत्र का जाप 108 बार करें। - नैवेद्य: हल्दी से बने मिष्ठान्न का भोग लगाएं।