01 Dec 2025 आध्यात्मिक मार्गदर्शन विश्वसनीय जानकारी

भजन | मानो तो मैं गंगा माँ हूँ

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मानो तो मैं गंगा माँ हूँ ना मानो तो बहता पानी मानो तो मैं गंगा माँ हूँ ना मानो तो बहता पानी जो स्वर्ग ने दी धरती को जो स्वर्ग ने दी धरती को मैं हूँ प्यार की वही निशानी मानो तो मै गंगा माँ हूँ ना मानो तो बहता पानी।। आ आ…युग युग से मैं बहती आई नील गगन के नीचे सदियों से ये मेरी धारा प्यार की धरती सींचे मेरी लहर लहर पे लिखी है मेरी लहर लहर पे लिखी है इस देश की अमर कहानी मानो तो मै गंगा माँ हूँ ना मानो तो बहता पानी ।। हरी ॐ हरी ॐ ।। हरी ॐ हरी ॐ ।। हरी ॐ हरी ॐ ।। कोई वजब करे मेरे जल से कोई वजब करे मेरे जल से कोई मूरत को नहलाए कही मोची चमड़े धोए कही पंडित प्यास बुझाए ये जात धरम के झगड़े ओ ये जात धरम के झगड़े इंसान की है नादानी मानो तो मैं गंगा मा हूँ ना मानो तो बहता पानी।। हर हर गंगे हर हर गंगे ।। हर हर गंगे ।। आ आ… आ आ…गौतम अशोक अकबर ने यहाँ प्यार के फूल खिलाए तुलसी ग़ालिब मीरा ने यहा ज्ञान के दिप जलाए मेरे तट पे आज भी गूँजे मेरे तट पे आज भी गूँजे नानक कबीर की वाणी मानो तो मैं गंगा मा हूँ ना मानो तो बहता पानी।। मानो तो मैं गंगा माँ हूँ ना मानो तो बहता पानी ना मानो तो बहता पानी ना मानो तो बहता पानी।।
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