ॐ तुलस्यै नमः मंत्र का जाप तुलसी पूजा के दौरान किया जाता है। तुलसी का हिंदू धर्म में अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसे पवित्र माना जाता है और भगवान विष्णु तथा देवी लक्ष्मी की प्रिय है। तुलसी पूजा से जीवन में शुद्धता, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
तुलसी पूजा की विधि
स्नान और शुद्धिकरण: पूजा से पहले स्वयं स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें, जहां तुलसी का पौधा रखा गया है। तुलसी के पौधे को जल चढ़ाना: साफ जल लें और इसे तुलसी के पौधे पर चढ़ाएं। आप जल में थोड़ा गंगाजल मिलाकर तुलसी को अर्पित कर सकते हैं। जल चढ़ाते समय "ॐ तुलस्यै नमः" का जाप करें। दीप जलाना तुलसी के पौधे के सामने एक घी का दीपक जलाएं। इसे संध्या के समय करना विशेष फलदायी माना जाता है। दीप जलाते समय तुलसी माता के समर्पण में मंत्रों का जाप करें, जैसे "ॐ तुलस्यै नमः"। फूल और चंदन अर्पित करें तुलसी के पौधे पर चंदन, रोली, अक्षत (चावल), और सुगंधित फूल अर्पित करें। इन चीजों को अर्पित करते समय "ॐ तुलस्यै नमः" या तुलसी माता के अन्य स्तोत्रों का पाठ करें। तुलसी पर परिक्रमा (घूमना) तुलसी के पौधे की परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। 1, 3, 7 या 11 बार परिक्रमा करें। परिक्रमा करते हुए "ॐ तुलस्यै नमः" मंत्र का जाप करें। नैवेद्य (प्रसाद) चढ़ाना तुलसी माता को नैवेद्य अर्पित करें, जैसे मिश्री, फल या गुड़। प्रसाद चढ़ाते समय तुलसी माता की कृपा और आशीर्वाद की कामना करें। आरती और प्रार्थना तुलसी माता की आरती करें और अपनी इच्छानुसार कोई भी प्रार्थना या स्तुति करें। अंत में हाथ जोड़कर श्रद्धा और भक्ति के साथ प्रार्थना करें।