परमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। यह व्रत हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मंत्र का जाप इस दिन विशेष रूप से फलदायी होता है।
व्रत कथा
प्राचीन समय में विंध्य पर्वत के पास महीष्मती नामक एक सुंदर नगरी थी। वहां सुमेधा नामक एक ब्राह्मण अपनी पत्नी पावनी के साथ रहते थे। वे दोनों धर्मनिष्ठ और भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हालांकि, उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब थी, लेकिन वे हमेशा सत्य, अहिंसा और दान के मार्ग पर चलते थे। कठिन परिस्थितियों के बावजूद, ब्राह्मण दंपत्ति ने अपने जीवन को धर्म और भक्ति के साथ बिताने का संकल्प लिया। लेकिन एक दिन, उनकी स्थिति इतनी खराब हो गई कि उनके पास भोजन के लिए भी अन्न नहीं बचा। दुखी होकर ब्राह्मण और उनकी पत्नी ने अपने जीवन को त्यागने का विचार किया। उसी समय, उनके घर में एक साधु महात्मा आए। ब्राह्मण ने उनका आदरपूर्वक स्वागत किया और अपनी परेशानी के बारे में बताया। साधु ने उन्हें परमा एकादशी व्रत करने का उपदेश दिया और कहा कि इस व्रत को करने से सभी कष्ट दूर होंगे और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होगी। ब्राह्मण दंपत्ति ने विधिपूर्वक परमा एकादशी का व्रत किया। व्रत की समाप्ति के बाद, उन्हें अपार धन-धान्य और सुख की प्राप्ति हुई। इस व्रत के प्रभाव से उनका जीवन सुखमय हो गया।व्रत की विधि
- व्रत के एक दिन पहले (दशमी तिथि) को सात्विक भोजन करें।
- एकादशी के दिन प्रातः स्नान करके भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- व्रत का संकल्प लें और दिनभर उपवास करें।
- भगवान विष्णु की पूजा करें, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें।
- व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
- द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दान देकर व्रत का पारण करें।
व्रत का फल
परमा एकादशी व्रत के प्रभाव से सभी पापों का नाश होता है। यह व्रत व्यक्ति को धन-समृद्धि, शांति और मोक्ष प्रदान करता है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है।"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"
मंत्र का जाप इस दिन विशेष रूप से फलदायी होता है।
व्रत विधि
दशमी तिथि की रात्रि से ही संयम का पालन करें। एकादशी के दिन प्रातः स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें। धूप, दीप, पुष्प, तुलसीदल और फल अर्पित करें। दिनभर उपवास करें और रात में जागरण करें। द्वादशी के दिन ब्राह्मण या गरीब को भोजन कराकर दान दें, फिर स्वयं भोजन करें।व्रत का महत्व
यह व्रत हजारों यज्ञ और दान के समान फलदायी है। इस व्रत से दरिद्रता दूर होती है। पापों का नाश होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु विशेष प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।आगामी एकादशी की तिथियाँ
- 01 दिसंबर 2025, सोमवार गुरुवायूर एकादशी
- 01 दिसंबर 2025, सोमवार मोक्षदा एकादशी
- 15 दिसंबर 2025, सोमवार सफला एकादशी
- 13 फरवरी 2026, शुक्रवार विजया एकादशी
- 13 फरवरी 2026, शुक्रवार विजया एकादशी