बृहस्पतिवार (गुरुवार) का व्रत भगवान बृहस्पति देव (गुरु देव) को समर्पित है। यह व्रत सौभाग्य, ज्ञान, समृद्धि, और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है। बृहस्पतिदेव को देवताओं का गुरु माना जाता है, और उनकी कृपा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।
बृहस्पतिवार व्रत कथा
बृहस्पतिवार व्रत भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है। यह व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे करने से धन, संपत्ति, सुख-शांति, और पारिवारिक समृद्धि प्राप्त होती है। व्रत कथा के श्रवण और पालन से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।व्रत कथा
प्राचीन समय की बात है। एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी अत्यंत धार्मिक और श्रद्धालु थी। वह हर बृहस्पतिवार को व्रत रखती थी और भगवान विष्णु की पूजा करती थी। उनके घर में गरीबी और कष्ट का वास था, लेकिन उसकी भक्ति में कोई कमी नहीं थी। एक दिन, ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से कहा, "तुम हर बृहस्पतिवार को व्रत करती हो, लेकिन हमारे घर की दशा नहीं बदल रही। हमें कुछ और उपाय करना चाहिए।" इस पर ब्राह्मणी ने उत्तर दिया, "भगवान हमारी परीक्षा ले रहे हैं। हमें धैर्य रखना चाहिए।" एक दिन, भगवान विष्णु ब्राह्मण के घर एक साधु का रूप धारण कर आए। उन्होंने कहा, "बेटी, मैं तुम्हारे व्रत से प्रसन्न हूं। मैं तुम्हारी सहायता करने आया हूं।" साधु ने ब्राह्मणी को व्रत विधि और कथा विस्तार से बताई।साधु का उपदेश
साधु ने कहा, "तुम्हें हर बृहस्पतिवार को इस प्रकार व्रत करना चाहिए:- प्रातःकाल स्नान कर पीले वस्त्र धारण करो।
- भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा करो।
- केले के वृक्ष की पूजा करो और गुड़-चने का भोग लगाओ।
- गरीबों और ब्राह्मणों को दान करो।
- व्रत के दिन खटाई का सेवन न करें।"
व्रत का प्रभाव
ब्राह्मणी ने साधु द्वारा बताए गए नियमों का पालन करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनके घर की स्थिति बदलने लगी। भगवान विष्णु की कृपा से उनके जीवन में सुख-शांति और धन-धान्य का आगमन हुआ। कुछ समय बाद, ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने इस व्रत की महिमा को गांव के अन्य लोगों को बताया। तब से यह व्रत पूरे गांव में प्रचलित हो गया और जो भी इसे करता, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होतीं। इस व्रत को करने से धन-संपत्ति, सुख-शांति, और संतोष की प्राप्ति होती है।बृहस्पतिवार व्रत की विधि
- व्रत का नियम:
- गुरुवार को व्रत रखें और पीले वस्त्र धारण करें।
- घर को स्वच्छ रखें और भगवान बृहस्पति की पूजा करें।
- नाखून काटने और बाल धोने से बचें।
- पूजन सामग्री:भगवान बृहस्पति की मूर्ति या चित्र, पीले फूल, चंदन, चने की दाल, गुड़, केले।
- पूजन विधि:
- प्रातः स्नान कर बृहस्पतिदेव की मूर्ति स्थापित करें।
- पीले चंदन, फूल, और गुड़-चना अर्पित करें।
- "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" मंत्र का जाप करें।
- कथा सुनें और आरती करें।
- गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएँ और दान दें।
कथा से शिक्षा
- धैर्य और श्रद्धा:कठिनाइयों में भी धैर्य और श्रद्धा बनाए रखें।
- दान का महत्व:जरूरतमंदों की मदद करने से बृहस्पतिदेव की कृपा मिलती है।
- सद्गुणों का पालन: सत्य, अहिंसा, और धर्म का पालन करने से जीवन सुखमय बनता है।