01 Dec 2025 आध्यात्मिक मार्गदर्शन विश्वसनीय जानकारी

गुरु प्रदोष व्रत : महत्व, पूजा विधि और लाभ

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गुरु प्रदोष व्रत शिवजी को समर्पित एक विशेष व्रत है, जो गुरुवार (बृहस्पतिवार) के दिन पड़ने वाले प्रदोष काल में किया जाता है। प्रदोष काल, सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे का समय, भगवान शिव की आराधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इस व्रत को करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है, और व्यक्ति के जीवन से सभी दुख, कष्ट और पाप समाप्त हो जाते हैं।

गुरु प्रदोष व्रत कथा

प्राचीन समय की बात है। एक नगर में एक निर्धन ब्राह्मण रहता था। वह अत्यंत गरीब था, लेकिन शिवभक्त था और भगवान शिव की पूजा में लगा रहता था। ब्राह्मण के पास खाने के लिए भी पर्याप्त अन्न नहीं था, परंतु उसकी भक्ति में कमी नहीं थी। एक दिन ब्राह्मण ने निश्चय किया कि वह गुरु प्रदोष व्रत करेगा और भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करेगा। व्रत के दिन उसने पूरे नियम और श्रद्धा के साथ भगवान शिव की पूजा की। उसने उपवास रखा और रात के समय शिवजी के भजन-कीर्तन करते हुए जागरण किया। उसी रात भगवान शिव उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रकट हुए। भगवान ने कहा, "हे ब्राह्मण, तुम्हारी भक्ति और श्रद्धा ने मुझे प्रसन्न किया है। बताओ, तुम्हें क्या चाहिए?" ब्राह्मण ने विनम्रता से कहा, "हे भोलेनाथ, मैं जीवन में कभी भी अन्न और धन के अभाव में दुखी न रहूं और मुझे आपके चरणों की भक्ति सदा प्राप्त हो।" भगवान शिव ने उसे वरदान दिया, "तुम्हारे घर में कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होगी। तुम और तुम्हारा परिवार सदैव सुखी रहेगा।" उस दिन से ब्राह्मण का जीवन बदल गया। उसके घर में समृद्धि और शांति का वास हो गया। उसकी यह कथा पूरे नगर में फैल गई, और लोग गुरु प्रदोष व्रत का महत्व समझने लगे।

गुरु प्रदोष व्रत की विधि

व्रत का नियम

  1. गुरु प्रदोष व्रत को गुरुवार के दिन रखा जाता है।
  2. व्रतधारी को प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

पूजा सामग्री

भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग, गंगाजल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र, धतूरा, फूल, दीपक, धूप, अगरबत्ती, फल और प्रसाद।

पूजन विधि

  1. शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद और शुद्ध जल से अभिषेक करें।
  2. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और फूल अर्पित करें।
  3. "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
  4. भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।

व्रत पारण

  1. व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है।
  2. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।

गुरु प्रदोष व्रत का महत्व

  1. समृद्धि और सुख-शांति: इस व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है
  2. कष्टों का नाश:गुरु प्रदोष व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन के कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
  3. भगवान शिव की कृपा:इस व्रत से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  4. शुभ फल: यह व्रत वैवाहिक जीवन को सुखी बनाता है और संतान सुख प्रदान करता है।
"ॐ नमः शिवाय। हर हर महादेव।"
आगामी प्रदोष व्रत की तिथियाँ
  • 02 दिसंबर 2025, मंगलावर भौम प्रदोष व्रत
  • 17 दिसंबर 2025, बुधवार बुध प्रदोष व्रत
  • 01 जनवरी 2026, गुरुवर गुरु प्रदोष व्रत
  • 16 जनवरी 2026, शुक्रवार शुक्र प्रदोष व्रत
  • 30 जनवरी 2026, शुक्रवार शुक्र प्रदोष व्रत
  • 14 फरवरी 2026, शनिवार शनि प्रदोष व्रत
  • 01 मार्च 2026, रविवर रवि प्रदोष व्रत
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