01 Dec 2025 आध्यात्मिक मार्गदर्शन विश्वसनीय जानकारी

राम भजन , हे रामचंद्र कह गए सिया से

shriram
हे रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलजूग आएगा हंस चुगेगा दाना दुनका कौआ मोती खायेगा धरम भी होगा कर्म भी होगा लेकिन शरम नही होगी बात बात पे मात पिता को बेटा आँख दिखायेगा हे रामचन्द्र कह गए सिया से राजा और प्रजा दोनों में होगी निसदिन खेचातानी खेचातानी कदम कदम पर करेंगे दोनों अपनी अपनी मनमानी मनमानी हे जिसके हाथ में होगी लाठी भैस वही ले जायेगा हंस चुगेगा दाना दुनका कौआ मोती खायेगा हे रामचन्द्र कह गए सिया से सुनो सिया कलजुग में काला धन और काले मन होंगे काले मन होंगे चोर उच्चके नगर सेठ और प्रभु भक्त निर्धन होंगे. निर्धन होंगे हे जो होगा लोभी और भोगी ओ जोगी कहलायेगा हंस चुगेगा दाना दुनका कौआ मोती खायेगा हे रामचन्द्र कह गए सिया से मंदिर सुना सुना होगा भरी होगी मधुशाला हां मधुशाला पिता के संग संग भरी सभा में नाचेगी घर की बाला घर की बाला कैसे कन्यादान पिता ही कन्या का धन खायेगा हंस चुगेगा दाना दुनका कौआ मोती खायेगा हे रामचन्द्र कह गए सिया से हे मुरख की प्रीत बुरी जुये की जित बुरी बुरे संग बैठ तेरे भागे रे भागे हे काजल की कोठडी में कितना जतन करो काजल का दाग भाई लागे रे लागे
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।