सावन शिवरात्रि का महत्व
भगवान शिव की कृपा: इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
अध्यात्मिक उन्नति:सावन शिवरात्रि का व्रत करने से आत्मा की शुद्धि होती है और अध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
सुख और समृद्धि: इस व्रत के पालन से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
सावन शिवरात्रि की पूजा विधि
स्नान और शुद्धिकरण:व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
पूजा की तैयारी: शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति के सामने पूजा की थाली सजाएं जिसमें धूप, दीप, चंदन, पुष्प, बेलपत्र, धतूरा, फल, और नैवेद्य रखें।
व्रत का संकल्प:भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
शिवलिंग का अभिषेक: शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल से करें। प्रत्येक सामग्री का अभिषेक करते समय "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
पूजा और आरती: भगवान शिव की पूजा और आरती करें। शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र, और शिव पुराण का पाठ करें।
व्रत का पालन: दिनभर उपवास रखें। कुछ लोग फलाहार या जल का सेवन करते हैं, जबकि कुछ निर्जल व्रत भी रखते हैं।
रात्रि जागरण:इस दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है। भक्तजन भगवान शिव के भजनों का गान करते हैं और पूरी रात जागरण करते हैं।
धार्मिक ग्रंथों का पाठ: दिनभर धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें और भगवान शिव की लीलाओं का स्मरण करें।
व्रत का पारण:अगले दिन प्रातःकाल स्नान करके भगवान शिव की पूजा के बाद व्रत का पारण करें।
सावन शिवरात्रि की कथा
सावन शिवरात्रि की कई कथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें से एक प्रमुख कथा निम्नलिखित है:
प्राचीन काल में एक बार पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा कि उन्हें कौन सा व्रत और उपवास सर्वाधिक प्रिय है। भगवान शिव ने कहा कि सावन शिवरात्रि का व्रत उन्हें अत्यंत प्रिय है। इस दिन जो भी व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत और पूजा करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। एक अन्य कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। इस दिन को शिवभक्त विषपान के रूप में स्मरण करते हैं और भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं।
इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करके उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पाई जा सकती है।सावन शिवरात्रि का व्रत श्रद्धा और भक्ति के साथ पालन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार के कष्टों का नाश होता है।
आगामी सावन शिवरात्रि की तिथियाँ
- 11 अगस्त 2026, मंगलावर