विजया एकादशी का व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट होते हैं। इस व्रत को विशेष रूप से जीवन के कठिन समय में विजय प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसका पालन करने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
विजया एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल की बात है। भगवान राम लंका पर आक्रमण करने के लिए समुद्र पार करने का विचार कर रहे थे। उनके सामने सबसे बड़ी समस्या समुद्र को पार करना था। समुद्र पार करने के लिए पुल बनाना आवश्यक था, लेकिन बिना उचित मार्गदर्शन के यह कार्य कठिन था।
भगवान राम ने अपने गुरुओं और मंत्रियों से इस समस्या का समाधान पूछा। तब उनके गुरु वशिष्ठ ऋषि ने कहा, "हे राम! आप विजया एकादशी का व्रत करें। इस व्रत के प्रभाव से आपके सभी कार्य सफल होंगे और आप रावण पर विजय प्राप्त करेंगे।"
भगवान राम ने वशिष्ठ ऋषि के निर्देशानुसार विधिपूर्वक विजया एकादशी व्रत का पालन किया। व्रत के प्रभाव से समुद्र देवता ने प्रकट होकर भगवान राम को पुल निर्माण के लिए मार्गदर्शन दिया। भगवान राम और उनकी सेना ने समुद्र पर सेतु बनाया और लंका पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की। तब से यह व्रत "विजया एकादशी" के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसे करने से जीवन की सभी समस्याएं समाप्त होती हैं और विजय की प्राप्ति होती है।विजया एकादशी व्रत की विधि
व्रत का महत्व
जय श्री हरि!
आगामी एकादशी की तिथियाँ
- 01 दिसंबर 2025, सोमवार गुरुवायूर एकादशी
- 01 दिसंबर 2025, सोमवार मोक्षदा एकादशी
- 15 दिसंबर 2025, सोमवार सफला एकादशी
- 13 फरवरी 2026, शुक्रवार विजया एकादशी
- 13 फरवरी 2026, शुक्रवार विजया एकादशी