यम दीपम, जिसे यम दीपदान भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है जो धनतेरस के दिन (धन त्रयोदशी) मनाई जाती है। इसका उद्देश्य यमराज (मृत्यु के देवता) को प्रसन्न करना और अकाल मृत्यु से बचने के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करना है। यम दीपम का विधान धनतेरस की शाम को होता है, जब लोग अपने घर के बाहर दीपक जलाते हैं और इसे यमराज के नाम समर्पित करते हैं।
यम दीपम की कथा (कहानी)
यम दीपम से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। एक समय की बात है, राजा हेम के घर एक पुत्र का जन्म हुआ। ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की कि विवाह के चौथे दिन उस पुत्र की मृत्यु हो जाएगी। जब वह दिन आया, तो पुत्र की पत्नी ने यमराज के आगमन को रोकने के लिए एक तरकीब निकाली। उसने घर के बाहर ढेर सारे आभूषण और सिक्के रख दिए और घर में चारों ओर दीपक जलाए। जब यमराज राजा हेम के पुत्र की आत्मा लेने आए, तो आभूषणों और दीपों की चमक से उनकी आँखें चौंधिया गईं और वे भीतर प्रवेश नहीं कर पाए। यमराज वहां कुछ समय ठहरकर लौट गए, जिससे राजा के पुत्र की अकाल मृत्यु टल गई। तभी से यह परंपरा बन गई कि धनतेरस की रात को घर के बाहर यमराज के लिए दीप जलाकर रखा जाता है ताकि अकाल मृत्यु से रक्षा हो सके।यम दीपम का महत्व
अकाल मृत्यु से रक्षा:यम दीपम का मुख्य उद्देश्य यमराज को प्रसन्न करके परिवार में अकाल मृत्यु से रक्षा करना है। ऐसा माना जाता है कि यमराज की पूजा करने और दीप जलाने से परिवार के सदस्यों की आयु बढ़ती है और मृत्यु का भय दूर होता है। धन, समृद्धि, और स्वास्थ्य:यम दीपम केवल मृत्यु से बचने का प्रतीक ही नहीं, बल्कि यह धनतेरस के दिन लक्ष्मी माता और धनवंतरि की पूजा के साथ भी जुड़ा हुआ है। यह व्रत परिवार में धन-धान्य और स्वास्थ्य की वृद्धि के लिए भी किया जाता है। धनतेरस की परंपराओं का हिस्सा:धनतेरस के दिन को विशेष रूप से धनवंतरि और लक्ष्मी पूजा, नए बर्तन और आभूषण खरीदने, और यम दीपम करने के लिए जाना जाता है। यह पर्व दीपावली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और इसे अत्यधिक शुभ माना जाता है।यम दीपम करने की विधि
दीपक तैयार करें:सूर्यास्त के बाद एक दीपक लें और उसमें सरसों या तिल का तेल भरें। इसमें एक बत्ती डालकर जलाएं। दीपक को घर के बाहर रखें:यमराज के नाम से यह दीपक घर के मुख्य दरवाजे या आंगन में रखें। ऐसा माना जाता है कि यमराज इस दीपक को देखकर प्रसन्न होते हैं और परिवार की रक्षा करते हैं। यमराज के लिए प्रार्थना: दीप जलाने के बाद यमराज से प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार की रक्षा करें और उन्हें अकाल मृत्यु से बचाएं। प्रार्थना के साथ, इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं: "मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति॥" इस प्रार्थना से यमराज प्रसन्न होते हैं और परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। यम दीपम का सांस्कृतिक महत्व:यम दीपम एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो इस विश्वास से जुड़ी है कि दीपक की ज्योति मृत्यु के देवता यमराज को प्रसन्न करती है। यह दीपावली के उत्सव का हिस्सा होते हुए भी परिवार के स्वास्थ्य, समृद्धि, और जीवन की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।आगामी यम दीपम की तिथियाँ
- 06 नवंबर 2026, शुक्रवार