01 Dec 2025 आध्यात्मिक मार्गदर्शन विश्वसनीय जानकारी

निर्वाण षट्कम मंत्र

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निर्वाण षट्कम मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है, जिसे आत्म शतकम् भी कहा जाता है इसकी रचना आदिगुरु श्री शंकराचार्य जी द्वारा किया गया है। मनो-बुद्धि-अहंकार चित्तादि नाहं न च श्रोत्र-जिह्वे न च घ्राण-नेत्रे । न च व्योम-भूमी न तेजो न वायु चिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं ॥१॥ न च प्राण-संज्ञो न वै पञ्च-वायु: न वा सप्त-धातुर्न वा पञ्च-कोष: । न वाक्-पाणी-पादौ न चोपस्थ पायु: चिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं ॥ २ ॥ न मे द्वेष-रागौ न मे लोभ-मोहौ मदे नैव मे नैव मात्सर्य-भाव: । न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्ष: चिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं ॥ ३ ॥ न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खं न मंत्रो न तीर्थं न वेदा न यज्ञा: । अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं ॥ ४ ॥ न मे मृत्यु न मे जातिभेद: पिता नैव मे नैव माता न जन्मो । न बन्धुर्न मित्र: गुरुर्नैव शिष्य: चिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं ॥ ५॥ अहं निर्विकल्पो निराकार रूपो विभुत्त्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणां । सदा मे समत्त्वं न मुक्तिर्न बंध: चिदानंद रूपं शिवो-हं शिवो-हं॥ ६॥
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