01 Dec 2025 आध्यात्मिक मार्गदर्शन विश्वसनीय जानकारी

श्री कार्तवीर्यार्जुन स्तॊत्रम्

shri-kartavirya-arjuna
कार्तवीर्यार्जुनॊनाम राजाबाहुसहस्रवान्। तस्यस्मरण मात्रॆण गतम् नष्टम् च लभ्यतॆ॥
कार्तवीर्यह:खलद्वॆशीकृत वीर्यॊसुतॊबली। सहस्र बाहु:शत्रुघ्नॊ रक्तवास धनुर्धर:॥
रक्तगन्थॊ रक्तमाल्यॊ राजास्मर्तुरभीश्टद:। द्वादशैतानि नामानि कातवीर्यस्य य: पठॆत्॥
सम्पदस्तत्र जायन्तॆ जनस्तत्रवशन्गतह:। आनयत्याशु दूर्स्थम् क्षॆम लाभयुतम् प्रियम्॥
सहस्रबाहुम् महितम् सशरम् सचापम्। रक्ताम्बरम् विविध रक्तकिरीट भूषम्॥
चॊरादि दुष्ट भयनाशन मिश्टदन्तम्। ध्यायॆनामहाबलविजृम्भित कार्तवीर्यम्॥
यस्य स्मरण मात्रॆण सर्वदु:खक्षयॊ भवॆत्। यन्नामानि महावीरस्चार्जुनह:कृतवीर्यवान्॥
हैहयाधिपतॆ: स्तॊत्रम् सहस्रावृत्तिकारितम्। वाचितार्थप्रदम् नृणम् स्वराज्यम् सुक्रुतम् यदि॥
॥ इति कार्तवीर्यार्जुन द्वादश नामस्तॊत्रम् सम्पूर्णम् ॥
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