01 Dec 2025 आध्यात्मिक मार्गदर्शन विश्वसनीय जानकारी

गले में जिसके नाग भोलेनाथ जी लिरिक्स

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ गले में जिसके नाग सर पे गंगे का निवास जो नाथों का है नाथ भोलेनाथ जी करता पापों का विनाश कैलाश पे निवास डमरू वाला वो सन्यास भोलेनाथजी। जो फिरता मारा मारा उसको देता वो सहारा तीनो लोक का वो स्वामी भोलेनाथ जी रख दे सर पे जिसके हाथ दुनिया चलती उसके साथ ऐसा खेल है खिलाता मेरा नाथ जी। मोह माया से परे उसकी छाया के तले जो तपता दिन रात उसको रोशनी मिले। केदार विश्वनाथ मुझको जाना अमरनाथ जहां मिलता तेरा साथ भोलेनाथ जी रख दे सर पे जिसके हाथ दुनिया चलती उसके साथ ऐसा खेल है खिलाता मेरा नाथ जी। ये दुनिया है भिखारी पैसे की मारी मारी मेरा तू ही है सहारा मेरे भोलेनाथ जी मेरा हाथ ले तू थाम बाबा ले जा अपने धाम इस दुनिया से बचा ले मुझको शंभूनाथ जी मोह माया से परे तेरी छाया के तले जो तपता दिन रात उसको रोशनी मिले। केदार विश्वनाथ मुझको जाना अमरनाथ जहां मिलता तेरा साथ भोलेनाथ जी रख दे सर पे जिसके हाथ दुनिया चलती उसके साथ ऐसा खेल है खिलाता मेरा नाथ जी। तेरा रूप है प्रचण्ड तू आरंभ तू ही अंत तू ही सृष्टि का रचियता मेरे भोलेनाथ जी में खुद हूं खण्ड खण्ड फिर कैसा है घमंड़ मुझे तुझमें है समाना मेरे भोलेनाथज़ी मोह माया से परे तेरी छाया के तले जो तपता दिन रात उसको रोशनी मिले। केदार विश्वनाथ मुझको जाना अमरनाथ जहां मिलता तेरा साथ भोलेनाथ जी रख दे सर पे जिसके हाथ दुनिया चलती उसके साथ ऐसा खेल है खिलाता मेरा नाथ जी।
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।