01 Dec 2025 आध्यात्मिक मार्गदर्शन विश्वसनीय जानकारी

कर्क संक्रांति – महत्व, पूजा विधि और शुभ फल

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कर्क संक्रांति वह दिन है जब सूर्य देव मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन से उत्तरायण का अंत और दक्षिणायण की शुरुआत होती है। धार्मिक दृष्टि से यह अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

कर्क संक्रांति का महत्व

  • कर्क संक्रांति के बाद दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं।
  • यह समय पितृ तर्पण और श्राद्ध कार्य के लिए शुभ माना गया है।
  • इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा से परिवार में सुख-शांति और स्वास्थ्य लाभ होता है।
  • इस संक्रांति को दान-पुण्य का विशेष पर्व माना जाता है।

कर्क संक्रांति पूजा विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • "ॐ घृणि सूर्याय नमः" मंत्र का जप करें।
  • भगवान विष्णु और शिव की पूजा करें।
  • जरुरतमंदों को भोजन, तिल, वस्त्र और अन्न का दान करें।
  • पितरों के लिए तर्पण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

कर्क संक्रांति के शुभ फल

  • जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और शांति प्राप्त होती है।
  • परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य आता है।
  • दान करने से पापों का क्षय होता है और पुण्य प्राप्त होता है।
  • पितरों की कृपा से कुल में सुख और कल्याण होता है।
आगामी संक्रांति की तिथियाँ
  • 16 दिसंबर 2025, मंगलावर धनु संक्रांति
  • 14 जनवरी 2026, बुधवार मकर संक्रांति
  • 13 फरवरी 2026, शुक्रवार कुंभ संक्रांति
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